कांग्रेस पर 123 बार राज्य सरकारें बर्खास्त करने का दाग ! शायद दाग अच्छे है !

जब भीम (बीजेपी) ने दुर्योधन (कांग्रेस) की कमर के नीचे अपने गदा से प्रहार किया तो वह धडाम से नीचे गिरे तथा अत्यंत ही कातर स्वरों में श्रीकृष्ण (SC) से कहने लगे कि हे ! श्रीकृष्ण यह तो अनैतिक है क्योंकि कमर से नीचे तो गदा प्रहार वर्जित है l तुरंत श्रीकृष्ण भी कह उठे कि हे ! दुर्योधन और अनैतिक ?
जब 8-8 महारथियों जिनमें तुम भी थे, ने एक नि:शस्त्र बालक अभिमन्यु का वध किया था तब क्या वह नैतिकता थी ?
दुर्योधन अब मौन हो कर अपनी मृत्यु की पीड़ा से बस कराह ही पा रहा था ! कांग्रेसी दुर्योधनों ज़रा अपने कुकर्मों को याद कर लो जब राज्यपालों के हाथों संबिधान का गला होता था उनमें से कुछ :-

1) हंसराज भारद्वाज -
सन 2009, कर्नाटक के राज्यपाल ने पूर्ण बहुमत वाली बी. एस. येदुरप्पा की सरकार को गलत तरीके से बहुमत साबित करने का आरोप लगा कर बर्खास्त कर दिया।
2) बूटा सिंह -
सन 2005 में बिहार विधानसभा भंग कर दिया ,जबकि NDA सरकार बनाने के लीये निमंत्रण की प्रतीक्षा कर रही थी। बाद में न्यायालय ने राजपाल के इस फैसले को असंवैधानिक घोषित किया।
3) सैयद सिब्ते रजी -
सन 2005, झारखंड में बिना बहुमत शिबू शोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया। 9 दिन बाद बहुमत के अभाव में इस्तीफा देना पड़ा और अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में NDA ने सरकार बनाई।
4) रोमेश भंडारी -
सन 1998 में कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर जगदंबिका पाल को 2 दिन का मुख्यमंत्री बनाया, कोर्ट ने फैसले को असंवैधानिक घोषित किया फिर कल्याण सिंह ने दोबारा सरकार बनाई।
5) जी. डी. तापसे -
सन 1982 में देवीलाल की सरकार को हटाकर भजनलाल की सरकार बनवा दी थी।

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6) पी. वेंकटसुबैया -
सन 1988 में बोम्मई की सरकार को विधानसभा में बहुमत खो चुकी है यह बोलकर बर्खास्त कर दिया। कोर्ट ने फैसले को असंवैधानिक घोषित किया और बोम्मई ने फिर से सरकार बनाई।







7) राज्यपाल कृष्णपाल सिंह -
सन 1996 में गुजरात में भाजपा शासित सुरेश मेहता सरकार को विश्वास का मत प्राप्त करना था।
विधानसभा के फ्लोअर पर विश्वास मत पाने के बावजूद राज्यपाल ने गुजरात विधानसभा भंग कर दिया।
एच. डी. देवेगौड़ा की सरकार ने उस निर्णय पर मोहर लगाकर गुजरात में राष्ट्रपति शासन घोषित कर दिया।
जिनकी दादी जी ने इमर्जेंसी के दौरान संविधान की धज्जियाँ उड़ायी और संवैधानिक संस्थाओं का दमन किया, वो आज संविधान की दुहाई दे रहे हैं। भारत की न्यायपालिका की तुलना पाकिस्तान से करना बेहद शर्मनाक और हास्यास्पद है। ये बयान उनकी समझ-बूझ पर एक बार फिर से सवाल उठाता है ।